आदतों से मुक्त होओ!
*आदतों से मुक्त होओ!*
मैंने सुना है, मुल्ला नसरुद्दीन जा रहा था रास्ते से बिलकुल घसिटता, गालियां देता हुआ। डाक्टर मिल गया। उसने कहा कि क्योंकि इतनी गालियां दे रहे हो, बात क्या है? उसने कहा: मेरे पैर में बड़ी तकलीफ है। डाक्टर ने कहा, तुम मेरे साथ आओ, गालियां देने से क्या होगा! डाक्टर ने कहा कि तुम्हारे अपेंडिक्स को निकालना पड़ेगा। डाक्टर ने बहुत जांच की। जब डाक्टर बहुत जांच करे और कुछ न मिले, तो अपेंडिक्स निकालता है। पक्का समझ लेना, जब भी डाक्टर कहे अपेंडिक्स, समझ लेना कि उसको कुछ मिल नहीं रहा है। अपेंडिक्स बिलकुल निर्दोष चीज है। उसको निकाल बाहर कर दिया। मगर दर्द था सो जारी ही रहा।
दूसरे डाक्टर के पास नसरुद्दीन गया कि भई, होगा क्या मामला? अपेंडिक्स भी निकल गई! उसने कहा कि तुम्हारे टान्सिल निकाल पड़ेंगे। जब अपेंडिक्स निकल जाए, तो टान्सिल। टान्सिल भी निकल गया, मगर दर्द जारी रहा।
तीसरे के पास गया, उसने कहा कि तुम्हारे दांत बदलने पड़ेंगे। दांत भी निकल गए, मगर दर्द था सो जारी का जारी रहा। हालत भी खराब हो गई दांत निकल गए, अपेंडिक्स निकल गई, टान्सिल निकल गए…अब कुछ निकलने को बचा भी नहीं बस ये तीन ही चीजें निकाल सकते हो हालत बिलकुल उसकी खस्ता हो गई, बिलकुल मुर्दा जैसी हालत हो गई। बिलकुल झुक कर चलने लगा, लकड़ी टेक—टेक कर चलने लगा। और फिर एक दिन लोगों ने देखा, उसने लकड़ी फेंक दी है, सीधा खड़ा हो गया है और मुस्कुराता हुआ, फिल्मी धुन गुनगुनाता हुआ चला जा रहा है। लोगों ने पूछा, अरे भाई, कोई चिकित्सक मिल गया जिसने बीमारी ठीक कर दी? उसने कहा, ऐसी की तैसी चिकित्सकों की! मेरे जूते में खीली थी, वह गड़ती थी, उसकी वजह से परेशानी हो रही थी। नालायकों की समझ में आया नहीं। बड़ी बड़ी जांच की…कार्डियोग्राम इत्यादि…। अब कार्डियोग्राम में कहीं जूते में लगी खीली आए!
तुम्हारी जिंदगी में भी कोई सवाल बड़े नहीं हैं। और पंडित बड़े बड़े समाधान लिए बैठे हैं। *तुम्हारी जिंदगी के सवाल भी बहुत छोटे हैं। समझ हो तो जूते की खीली निकालने जैसे हैं।*
आदतों से मुक्त होओ!
मैंने सुना है, मुल्ला नसरुद्दीन जा रहा था रास्ते से बिलकुल घसिटता, गालियां देता हुआ। डाक्टर मिल गया। उसने कहा कि क्योंकि इतनी गालियां दे रहे हो, बात क्या है? उसने कहा: मेरे पैर में बड़ी तकलीफ है। डाक्टर ने कहा, तुम मेरे साथ आओ, गालियां देने से क्या होगा! डाक्टर ने कहा कि तुम्हारे अपेंडिक्स को निकालना पड़ेगा। डाक्टर ने बहुत जांच की। जब डाक्टर बहुत जांच करे और कुछ न मिले, तो अपेंडिक्स निकालता है। पक्का समझ लेना, जब भी डाक्टर कहे अपेंडिक्स, समझ लेना कि उसको कुछ मिल नहीं रहा है। अपेंडिक्स बिलकुल निर्दोष चीज है। उसको निकाल बाहर कर दिया। मगर दर्द था सो जारी ही रहा।
दूसरे डाक्टर के पास नसरुद्दीन गया कि भई, होगा क्या मामला? अपेंडिक्स भी निकल गई! उसने कहा कि तुम्हारे टान्सिल निकाल पड़ेंगे। जब अपेंडिक्स निकल जाए, तो टान्सिल। टान्सिल भी निकल गया, मगर दर्द जारी रहा।
तीसरे के पास गया, उसने कहा कि तुम्हारे दांत बदलने पड़ेंगे। दांत भी निकल गए, मगर दर्द था सो जारी का जारी रहा। हालत भी खराब हो गई दांत निकल गए, अपेंडिक्स निकल गई, टान्सिल निकल गए…अब कुछ निकलने को बचा भी नहीं बस ये तीन ही चीजें निकाल सकते हो हालत बिलकुल उसकी खस्ता हो गई, बिलकुल मुर्दा जैसी हालत हो गई। बिलकुल झुक कर चलने लगा, लकड़ी टेक—टेक कर चलने लगा। और फिर एक दिन लोगों ने देखा, उसने लकड़ी फेंक दी है, सीधा खड़ा हो गया है और मुस्कुराता हुआ, फिल्मी धुन गुनगुनाता हुआ चला जा रहा है। लोगों ने पूछा, अरे भाई, कोई चिकित्सक मिल गया जिसने बीमारी ठीक कर दी? उसने कहा, ऐसी की तैसी चिकित्सकों की! मेरे जूते में खीली थी, वह गड़ती थी, उसकी वजह से परेशानी हो रही थी। नालायकों की समझ में आया नहीं। बड़ी बड़ी जांच की…कार्डियोग्राम इत्यादि…। अब कार्डियोग्राम में कहीं जूते में लगी खीली आए!
तुम्हारी जिंदगी में भी कोई सवाल बड़े नहीं हैं। और पंडित बड़े बड़े समाधान लिए बैठे हैं। *तुम्हारी जिंदगी के सवाल भी बहुत छोटे हैं। समझ हो तो जूते की खीली निकालने जैसे हैं।*
आदतों से मुक्त होओ!
Comments
Post a Comment