मैं तुम्हें जीवन देना चाहता हूँ।
मेरे पास आये हो तो
मैं तुम्हें परमात्मा नहीं देना चाहता,
मैं तुम्हें जीवन देना चाहता हूँ।
और जिसके पास भी जीवन हो,
उसे परमात्मा मिल जाता है।
मैं तुम्हें परमात्मा नहीं देना चाहता,
मैं तुम्हें जीवन देना चाहता हूँ।
और जिसके पास भी जीवन हो,
उसे परमात्मा मिल जाता है।
जीवन परमात्मा का पहला अनुभव हैं।
और चूँकि मैं तुम्हें जीवन देना चाहता हूँ,
इसलिए तुम्हैं सिकोड़ना नहीं चाहता,
तुम्हें फैलाना चाहता हूँ।
और चूँकि मैं तुम्हें जीवन देना चाहता हूँ,
इसलिए तुम्हैं सिकोड़ना नहीं चाहता,
तुम्हें फैलाना चाहता हूँ।
तुम्हें मर्यादाओं में बाँध नहीं देना चाहता;
तुम्हें अनुशासन के नाम पर
गुलाम नहीं बनाना चाहता हूँ.
तुम्हें सब तरह की स्वतंत्रता
देना चाहता हूँ ताकि तुम फैलो,
विस्तीर्ण होओ।
तुम्हें अनुशासन के नाम पर
गुलाम नहीं बनाना चाहता हूँ.
तुम्हें सब तरह की स्वतंत्रता
देना चाहता हूँ ताकि तुम फैलो,
विस्तीर्ण होओ।
तुम्हें बोध देना चाहता हूँ,
आचरण नहीं।
तुम्हें अंतश्चेतना देना चाहता दूँ,
अंतःकरण नहीं।
आचरण नहीं।
तुम्हें अंतश्चेतना देना चाहता दूँ,
अंतःकरण नहीं।
तुम्हें एक समझ देना चाहता हूँ जीने की,
जीने को हजार रंगों में जीने की;
तुम्हें जिंदगी एक इंद्रधनुष कैसे
बन जाए इसकी कला देना चाहता हूँ;
जीने को हजार रंगों में जीने की;
तुम्हें जिंदगी एक इंद्रधनुष कैसे
बन जाए इसकी कला देना चाहता हूँ;
तुम कैसे नाच सको और तुम्हारे
ओंठों पर बाँसुरी कैसे आ जाए,
इसके इशारे देना चाहता दूँ।
और मेरी समझ और मेरा जानना ऐसा है,
ओंठों पर बाँसुरी कैसे आ जाए,
इसके इशारे देना चाहता दूँ।
और मेरी समझ और मेरा जानना ऐसा है,
जो आदमी गीत गाना जान ले,
उसके मुँह से गालियां
निकलनी बंद हो जाती हैं।
मैं तुम्हें गालियां छोड़ने
पर जोर देना ही नहीं चाहता,
गीत गाना सिखाना चाहता हूँ।
यह विधायकता है।
उसके मुँह से गालियां
निकलनी बंद हो जाती हैं।
मैं तुम्हें गालियां छोड़ने
पर जोर देना ही नहीं चाहता,
गीत गाना सिखाना चाहता हूँ।
यह विधायकता है।
मैं तुम्हें जीवन देना चाहता हूँ।
और जीवन नृत्य करता हुआ,
गीत गाता हुआ, जीवन उत्सवपूर्ण।
और जीवन नृत्य करता हुआ,
गीत गाता हुआ, जीवन उत्सवपूर्ण।
एक बार तुम्हारे जीवन में उत्सव आ जाए,
एक बार तुम्हें पंख पसारने की कला आ जाए,
एक बार धीरे—धीरे तुम्हें
एक बार तुम्हें पंख पसारने की कला आ जाए,
एक बार धीरे—धीरे तुम्हें
फिर पंख फैलाने
का अभ्यास आ जाए,
फिर आस्था आ जाए,
फिर तुम थोडे प्रयोग
करके पंख उड़ाना सीख लो,
फिर तुम्हें कौन रोक सकेगा?
का अभ्यास आ जाए,
फिर आस्था आ जाए,
फिर तुम थोडे प्रयोग
करके पंख उड़ाना सीख लो,
फिर तुम्हें कौन रोक सकेगा?
फिर यह सारा आकाश तुम्हारा है।
परमात्मा तो तुम्हें मिल जाएगा,
बस तुम जीवित हो जाओ।
या इसे और दूसरी भाषा में कहें तो
यूँ—परमात्मा तो तुम्हें मिल जाएगा,
परमात्मा तो तुम्हें मिल जाएगा,
बस तुम जीवित हो जाओ।
या इसे और दूसरी भाषा में कहें तो
यूँ—परमात्मा तो तुम्हें मिल जाएगा,
तुम आत्मवान हो जाओ।
असली बात आत्मा है।
जो भी आत्मबान है,
परमात्मा उनकी संपदा है।
आत्मबान को पुरस्कार मिलता है
परमात्मा का.
असली बात आत्मा है।
जो भी आत्मबान है,
परमात्मा उनकी संपदा है।
आत्मबान को पुरस्कार मिलता है
परमात्मा का.
OSHO
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